भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड

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पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण सरंक्षण के लिए बीबीएमबी के प्रयास

Bhakra Dam The Nation’s Pride

 राष्‍ट्र गौरव भाखड़ा एवं ब्‍यास परियोजनाएं - राष्ट्र की सेवा में निम्‍नलिखित योगदान दे रही है:-

  • जल से विद्युत का उत्पादन- नवीकरणीय ऊर्जा का असीम स्रोत।
  • सिंचाई एवं पीने के लिए स्‍वच्‍छ जल की आपूर्ति।
  • प्रचलित मानकों, कार्य प्रणाली, प्रौद्योगिकी तथा विधि के अनुसार पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना।

बीबीएमबी द्वारा संचालित सभी परियोजनाओं यथा भाखड़ा-नंगल, बीएसएल परियोजना तथा ब्‍यास बांध परियोजना की योजना तथा क्रियान्‍वयन 1979 से पहले अर्थात् उस समय किया गया था, जब भारत सरकार से पर्यावरण सम्‍बन्‍धी स्‍वीकृति लेना अनिवार्य नही था।  तथापि बीबीएमबी ने निर्माण के बाद स्‍वयं की पर्यावरणीय घटकों की स्थिति तथा इनके प्रभाव का अध्‍ययन एवं मूल्‍यांकन करना भी आरम्‍भ किया है ताकि अल्‍पावधि एवं दीर्घावधि न्‍यूनीकरण उपाय किए जा सकें।

बीबीएमबी की बहुउद्देशीय परियोजना ने उत्तरी भारत में हरित एवं औद्योगिक क्रांति लाने के साथ-साथ पूरे क्षेत्र को विनाशकारी बाढ़ से भी बचा रही हैं। विशाल जलाशयों से पर्यटन एवं मछली उत्पादन को भी बढ़ावा मिला है। इन परियोजनाओं ने भूमि सुधार के अलावा उच्‍च औद्योगिकीकरण, शहरीकरण एवं रोजगार के अवसरों को  बढ़ाया है और वेटलैंड के निर्माण से प्रवासी पक्षियों को आश्रय मिला है। बीबीएमबी द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं सुधार और सामुदायिक सेवाओं के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयास निम्‍नानुसार हैं:-

Ecological Improvement
  • निरन्‍तर सुधार के लिए उपयुक्‍त पर्यावरणीय उद्देश्‍य, लक्ष्‍य तथा उनकी उपलब्धियां निर्धारित करना।
  • एन.ई.ई.आर.आई रिपोर्ट के अनुसार बी.एस.एल परियोजना के संतुलन जलाशय से गाद का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना।
  • सामान्य जन समूह समेत परियोजनाओं के विभिन्‍न पणधारियों की पर्यावरण से संबंधित समस्‍याओं/शिकायतों का समाधान करने के लिए नियमित समीक्षा करना तथा उनके साथ सौहार्दपूर्ण सम्‍बन्‍ध बनाए रखना।
  • पेयजल, ट्रीटमेंट, संयंत्रों, सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों आदि के कार्य निष्‍पादन की जांच करने के लिए गाद विश्‍लेषण, रसायन तथा जीवाणु-विज्ञान परीक्षण हेतु परियोजना स्‍टेशनों पर पूर्ण सुसज्जित केन्‍द्रीय प्रयोगशालाओं की स्‍थापना करना।
  • ग्रीन बेल्‍ट की पहचान करके बीएमबी की खाली भूमि में पार्कों, नर्सरियों और बगीचों का विकास करना।
  • ड्रेनों, आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों के अवरोध की रोकथाम तथा अधिक्रमणों की जांच करना।
  • परियोजना क्षेत्रों में ठोस कचरे के सुरक्षित तथा वैज्ञानिक निपटान हेतु उचित ठोस कचरा प्रबंधन योजना तैयार करना।
  • कैचमेंट एरिया  ट्रीटमेंट तथा फ्रिंज एरिया ट्रीटमेंट योजना तैयार करना तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के प्राधिकारियों के साथ समन्‍वय स्‍थापित करते हुए योजना का क्रियान्‍वयन करना।
  • पर्यावरण क्षेत्र में नवीनतम दिशा-निर्देशों, नवाचार निर्देशों के लिए हिमाचल प्रदेश तथा केन्‍द्रीय प्रदूषण नियन्‍त्रण बोर्डों के साथ सम्‍पर्क बनाए रखना।
  • बीबीएमबी कर्मचारियों को अपने आवासों/कॉलोनियों के चारों ओर अधिक से अधिक वृक्ष/पौधे लगाने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • बीबीएमबी द्वारा पर्यावरण सुधार के लिए परियोजना स्‍थलों  पर अपनी स्‍वयं की बागवानी शाखाएं विकसित करके खाली पड़ी भूमि, टैरेस, जलाशयों के निकटवर्ती क्षेत्रों, परियोजना कॉलोनियों इत्‍यादि में प्रत्‍येक वर्ष वृक्षारोपण कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
  • आई.एस.ओ.:14001 प्रमाणन प्राप्ति द्वारा सम्‍पूर्ण बीबीएमबी का पर्यावरण उन्‍नयन तथा प्रलेखन।
  • परियोजना क्षेत्रों के आस-पास चिकित्‍सा शिविरों के आयोजन, रास्‍तों, सड़कों एवं पुलों के निर्माण तथा बीबीएमबी अस्‍पतालों में आधुनिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध कराने इत्‍यादि के माध्‍यम से सामुदायिक सेवाओें का विस्‍तार करना।
  • सितम्‍बर, 2005 से पण्‍डोह बांध से ब्यास नदी में न्‍यूनतम 15% डाऊनस्‍ट्रीम  बहाव छोड़ना।
  • तलवाड़ा टाउनशिप में लगभग20  एकड़ खाली पड़ी जमीन पर बीबीएमबी ने “चण्‍डीगढ़ रॉक गार्डन” के संस्‍थापक पद्मश्री नेक चन्‍द के प्रबन्‍ध अधीन एक आधुनिक रॉक गार्डन विकसित किया है जिसका निर्माण, ब्‍यास बांध से एकत्रित बेकार और फालतू सामग्री से किया गया है।

पौंग बांध झील (महाराणा प्रताप सागर) को 1971 में वेटलैंड पर आयोजित रामसर सम्‍मेलन के अंतर्गत अगस्‍त 2002 में “अंतर्राष्‍ट्रीय महत्‍व की वेटलैंड” की सूची में शामिल किया गया है। प्रत्‍येक वर्ष 220 प्रजातियों के एक लाख से अधिक प्रवासी प‍क्षी महाराणा प्रताप सागर का भ्रमण करते हैं। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नंगल झील को जनवरी 2008 में राष्‍ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम के अन्‍तर्गत शामिल किया गया है।

जलवायु परिवर्तन

ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से हिमालय क्षेत्र के तापमान में भी तेजी से परिवर्तन हो सकता है। इसके फलस्‍वरूप भविष्‍य में बीबीएमबी जलाशयों को भरने वाली नदियों के प्रवाह में भी परिवर्तन आ सकता है।  इस तरह के परिदृश्य की संभावना को ध्यान में रखते हुए, बीबीएमबी ने जलवायु परिवर्तन के कारण नदियों के प्रवाह पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों पर एक अध्ययन की शुरूआत की है। इस प्रयोजनार्थ   'पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन'  प्रकोष्‍ठ की स्थापना की गई है।

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