भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड

भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड
सर्च

बोर्ड के सदस्‍य

  • इंजी. मनोज त्रिपाठी

    इंजी. मनोज त्रिपाठीअध्‍यक्ष

    इंजी. मनोज त्रिपाठी

    इंजी. मनोज त्रिपाठी

    अध्‍यक्ष

    इंजी. मनोज त्रिपाठी, सीपीईएस ने सितम्‍बर 28, 2023 को बीबीएमबी के अध्‍यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। ये 1989-1993 के बैच से हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकीय संस्‍थान, कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रौद्योगिकी में स्‍नातक हैं तथा वे एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। ये वित्‍त में व्‍यवसाय प्रबंधन में स्‍नातकोतर हैं तथा इनके पास परियोजना प्रबंधन में प्रमाण पत्र भी है। इनके पास 28 वर्षों से अधिक का अनुभव है, जिसमें से अधिकांश अनुभव जल विद्युत क्षेत्र के लिए समर्पित है, जिसमें जल योजना, नीति, मूल्‍यांकन, निर्माण, परिचालन एवं अनुरक्षण, अनुबंध, निगरानी इत्‍यादि से संबंधित पहलू सम्मिलित हैं।

    ये केंद्रीय विद्युत इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी हैं। बीबीएमबी में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व ये केन्‍द्रीय विद्युत प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय में मुख्‍य अभियंता (जल विद्युत परियोजना प्रबोधन) के रूप में कार्यरत थे। इन्‍होंने जे.के.एस.पी.डी.सी में अंशकालिक निदेशक का पदभार भी संभाला। केन्‍द्रीय विद्युत प्राधिकरण में मुख्‍य अभियन्‍ता   (एच.पी.एम.) के रूप में कार्य करते हुए ये देश भर मे कुल 18033.5 मेगावाट की 42 निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं की प्रगति मे तेजी लाने और मामलों के निपटान हेतु उत्‍तरदायी थे। इसके अतिरिक्‍त, इन्‍होंने भूटान तथा नेपाल में कुल 3120 मेगावाट की 03 अंतर-सरकारी/सीपीएसयू परियोजनाओं का निरीक्षण किया।

    इन्‍होंने केन्‍द्रीय विद्युत प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार, एनएचपीसी लिमिटेड., मांगछू जल विद्युत प्राधिकरण, भूटान तथा इफको जैसे विभिन्‍न प्रतिष्‍ठित संगठनों में काम किया है। इसके अतिरिक्‍त, बीबीएमबी में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व ये विगत पांच वर्षों (2018-23) तक जे.के.एस.पी.डी.सी के बोर्ड में अंशकालिक निदेशक के रूप में कार्यरत थे। अपने सेवाकाल के दौरान इन्‍होंने भारत तथा विदेश में 50 से अधिक जल विद्युत परियोजनाओं का भ्रमण किया जिसमें परियोजना निगरानी से संबंधित मामलें, मामलों का समाधान/कार्य को शीघ्र पूरा करने के तरीकों, सतर्कता/जांच मामले, अनुबंध मामले, परियोजनाओं में दुर्घटनाओं इत्‍यादि से संबंधित मामलों पर कार्य किया है।

    विद्युत मंत्रालय द्वारा गठित कई समितियों में ये अध्‍यक्ष/सदस्‍य/संयोजक रह चुके हैं। इन समितियों में उनके द्वारा निपटाए गए कुछ मामले जैसे भूटान में पुनात्‍सांगचू-। जल विद्युत परियोजना (1200 मेगावाट) के कार्यों को आगे बढ़ाने का रास्‍ता खोजने, अंतर-सरकारी समिति लागत को अनुकूलित करने और भारत में विभिनन क्षेत्रों (सड़कें/रेलवे/जल/ऊर्जा/रक्षा) में सुरंग निर्माण में हो रहे विलम्‍ब को समाप्‍त करने की अंतर-मंत्रालय समिति शामिल है, लोहारीनागपाला एचईपी (600 मेगावाट) हेतु अधिकार प्राप्‍त समिति/दावा निपटान समिति/सुरक्षा समिति/परियोजना हस्‍तांतरण समिति, सुबनसिरी लोअर एचईपी (2000 मेगावाट) को शीघ्रता से चालू करने के लिए उच्‍च स्‍तरीय समिति, सुबनसिरी एचईपी में संबंधित मामलों के समाधान के लिए 08 सदस्‍यीय अंतर-अनुशासनात्‍मक परियोजना निरीक्षण समिति, विभिन्‍न राज्‍यों के लिए बांध सुरक्षा समिति के सदस्‍य, जल विद्युत परियोजनाओं में विवाद के कारणों का अध्‍ययन करने और प्रभावी विवाद निवारण समाधान तंत्र का सुझाव देने के लिए मध्‍यस्‍थता समिति, अनुबंध तंत्र, पूर्व-योग्‍यता मानदंड इतयादि, के संबंध में विभिन्‍न अनुबंध प्रावधानों का सुझाव देने हेतु अनुबंध समिति, जल विद्युत परियोजनाओं में भूवैज्ञानिक अनिश्चितताओं तथा ढलान की अस्थिरता के मामलों से निपटने की उपाय समिति, जल विद्युत परियोजनाओं की व्‍यवहार्यता स्‍थापित करने के लिए उपाय सुझाने हेतु व्‍यवहार्यता समिति, जल विद्युत परियोजनाओं की निगरानी के लिए आईटी पोर्टल विकसित करने हेतु टास्‍कफोर्स, केमेंग में पेनस्‍टाक रिसाव हेतु जांच समिति/श्रीशैलम, जल विद्युत परियोजना में आग की दुर्घटना समिति, खाडोंग, जल विद्युत परियोजना में बाढ़ इत्‍यादि समिति के सदस्‍य भी रहे हैं।

    भूविज्ञान में भविष्‍यवाणी से संबंधित अन्‍वेषण पहलुओं में सुधार सर्वेक्षण और जांच के साथ-साथ निमार्ण चरण के दौरान आगामी जल विद्युत परियोजनाओं के विभिन्‍न घटकों में भूविज्ञान में परिवर्तन की निगरानी हेतु एक प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने के लिए कार्य किया है। इन्‍होंने जल विद्युत परियोजनाओं में भूवैज्ञानिक अनिश्चितताओं के विश्‍लेषण हेतु एक स्‍थायी तकनीकी समिति के गठन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    इनके द्वारा विद्युत क्षेत्र के “डिसप्‍यूट एवॉयडेंस मैकेनिज्‍म ऑफ एनगेजमेंट ऑफ इंडिपेंडेंट इंजीनियर’’ और “डिसप्‍यूट रेजोलुशन मैकेनिज्‍म थ्रू कॉन्सिलेएशन कमेटी ऑफ इंडिपेंडेंट एक्‍सपर्ट’’ की निगरानी भी की गई है। इन्‍होंने जल विद्युत परियोजनाओं में ढलान स्थिरता से संबंधित पहलुओं पर दिशानिर्देश विकसित करने और जल विद्युत परियोजनाओं में भूविज्ञान अनिश्चितताओं को दूर करने के उपायों को लागू करने पर भी कार्य किया है।

    इन्‍होंने जल विद्युत क्षेत्र से संबंधित विभिन्‍न विषयों पर विभिन्‍न सेमिनारों और संगोष्‍ठियों में कई व्‍यारव्‍यान और प्रस्‍तुतियां दी हैं। ये एक उत्‍साही खिलाड़ी हैं तथा इन्‍हें बैडमिंटन और लॉन टेनिस खेलना पसंद है।

  • Vacant

    Vacantसदस्‍य (सिंचाई)

    Vacant

    Vacant

    सदस्‍य (सिंचाई)

  • इंजी. जगजीत सिंह

    इंजी. जगजीत सिंहसदस्‍य (विद्युत)

    इंजी. जगजीत सिंह

    इंजी. जगजीत सिंह

    सदस्‍य (विद्युत)

    इंजी. जगजीत सिंह ने दिनांक 05-07-2024 को (सदस्‍य विद्युत), बीबीएमबी के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। उन्‍होंने पीएसपीसीएल (तत्‍कालीन पीएसईबी) में दिनांक 16-09-1991 को कार्यभार ग्रहण किया था।

    शैक्षणिक योग्‍यता :- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चण्‍डीगढ़ से बीई (इलेक्‍ट्रिकल इंजीनियरिंग)

    कार्य अनुभव :- इन्‍होंने थर्मल विद्युत संयंत्रों में 24 वर्ष, हाइडल विद्युत केन्‍द्रों में ढाई वर्ष कार्य करने के साथ-साथ प्रवर्तन, एमएमटीएस जेडकेसी (जिसे पहले टीटीआई के नाम से जाना जाता था), पीएण्‍डएम में भी कार्य किया। इन्‍होंने जर्मनी में विद्युत संयंत्र का 01 वर्ष का प्रशिक्षण भी प्राप्‍त किया है।

  • श्री मोहम्‍मद अफ़जल

    श्री मोहम्‍मद अफ़जलसदस्‍य, भारत सरकार

    श्री मोहम्‍मद अफ़जल

    श्री मोहम्‍मद अफ़जल

    सदस्‍य, भारत सरकार
    श्री मोहम्‍मद अफ़जल वर्तमान में विद्युत मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव (हाइड्रो) के रूप में कार्यरत हैं। उन्‍होंने ए.एम.यू. अलीगढ़ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बीएससी (इंजी.) और तत्‍कालीन रूड़की विश्‍वविद्यालय (अब भारतीय प्रोद्योगिकी संस्‍थान, रूड़की) से पावर सिस्‍टम इंजीनियरिंग में एम.ई. (आनर्स के साथ प्रथम) की
    डिग्री प्राप्‍त की। उन्‍होंने नवम्‍बर, 1996 में केन्‍द्रीय विद्युत प्राधिकरण में कार्यभार ग्रहण किया था और सिस्‍टम इंजीनियरिंग एवं तकनीकी मण्‍डल, ग्रिड प्रबन्‍धन मण्‍डल तथा ईंधन प्रबन्‍धन मण्‍डल जैसे विभिन्‍न प्रभागों में अपनी सेवाएं दी हैं। उन्‍होंने 25 से अधिक वर्षों के अपने करियर के दौरान विभिन्‍न क्षमताओं के उप- केन्‍द्रों की डिजाइनिंग,राज्‍यों/घटकों को बिजली की क्षेत्रीय/राष्‍ट्रीय ग्रिड से आवंटन की निगरानी और थर्मल पावर स्‍टेशनों, गैस आधारित विद्युत संयंत्रो आदि के लिए ईंधन की निगरानी के क्षेत्र में व्‍यापक अनुभव प्राप्‍तकिया।
  • श्री दर्पण तलवाड़

    श्री दर्पण तलवाड़सदस्‍य, भारत सरकार

    श्री दर्पण तलवाड़

    श्री दर्पण तलवाड़

    सदस्‍य, भारत सरकार

      श्री दर्पण तलवाड़ पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चण्‍डीगढ़ से सिविल इंजीनियरिंग में स्‍नातक है तथा इन्‍होंने रूड़की विश्‍वविद्यालय (अब आईआईटी रूड़की) से स्‍ट्रक्‍चरल इंजीनियरिंग में मास्‍टर डिग्री प्राप्‍त की है। ये 1994 बैच के भारतीय इंजीनियरिंग सेवा अधिकारी हैं। इन्‍होंने वर्ष 1996 में सेंट्रल वॉटर इंजीनियरिंग सर्विसेज़ में अपना कार्यभार ग्रहण किया। अपने अब तक के 28 वर्षों के सेवाकाल में ये भूमिगत संरचनाओं के डिज़ाइन में विशेषज्ञता के साथ में, भारत, भूटान और अफगानिस्‍तान की अधिकतर जल विद्युत क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित जल संसाधन परियोजनाओं के योजना डिज़ाइन और उनके मूल्‍यांकन कार्यों से जुडे रहे हैं। ये  ताला जल विद्युत परियोजना (भूटान), पयकारा अल्‍टीमेट स्‍टेज जल विद्युत परियोजना, एशिया में सबसे ऊंचा हेड हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्‍लांट, श्रीशैलम लेफ्ट बैंक जल विद्युत परियोजना तथा गरूडेश्‍वर वियर इत्‍यादि जैसी महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं से संबद्ध रहे हैं।

      ये 2006 से 2013 तक विभिन्‍न पदों पर सिंधु जल संधि 1960 से संबंधित मामलों से जुड़े रहे तथा इन्‍होंने स्‍थायी सिंधु आयोग की विभिन्‍न बैठकों और दौरों में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्‍व किया। इन्‍होंने तुलबुल नेविगेशन परियोजना पर भारत और पाकिस्‍तान के बीच आयोजित सचिव स्‍तर की वार्ता में भी भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्‍व किया। ये उस टीम के मुख्‍य सदस्‍य थे, जिन्‍होंने किशनगंगा जल विद्युत परियोजना से संबंधित भारत के मामले का बचाव किया था, जिसे पाकिस्‍तान द्वारा हेग में स्‍थायी मध्‍यस्‍थता न्‍यायालय में ले जाया गया था।

      ये जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण, विद्युत मंत्रालय, केन्‍द्रीय जल आयोग, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारतीय मानक ब्‍यूरो द्वारा गठित कई समितियों के सदस्‍य रहे हैं। इनके द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं :-

      एचईपी एवं पंप भण्‍डारण योजनाओं हेतु डीपीआर की तैयारी/मूल्‍यांकन हेतु दिशा निर्देशों में संशोधन करना। जल विद्युत परियोजनाओं तथा पंप भण्‍डारण परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में तेजी लाने तथा उसे सुचारू बनाने हेतु समितियों का गठन करना। सुरंग निर्माण में विलम्‍ब को समाप्‍त करने एवं इसे लागत अनुकूल करने हेतु अंतर-मंत्रालयी समिति के सदस्‍य/डब्‍ल्‍यूआरडी-14 के अंतर्गत जल संवाहक प्रणाली से संबंधित भारतीय मानकों का संशोधन तथा डब्‍ल्‍यूआरडी-15 के अंतर्गत जल, विद्युत घरों की संरचना, जल संसाधन तथा जल विद्युत परियोजनाओं में गाद प्रबंधन हेतु दिशा निर्देशों की समीक्षा के लिए गठित उप समितियों में भी अपना अहम योगदान दिया है।  

       वर्तमान में ये सिंधु जल के लिए भारतीय आयुक्‍त के रूप में कार्यरत्‍त हैं।ये पंजाब, हरियाणा, जम्‍मू एवं कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश तथा राजस्‍थान के बीच जल संसाधन विकास के अंतर राज्‍यीय पहलुओं की भी देख-रेख कर रहे हैं।

  • श्री अभय कुमार

    श्री अभय कुमारसदस्‍य, राजस्‍थान

    श्री अभय कुमार

    श्री अभय कुमार

    सदस्‍य, राजस्‍थान

    अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव -  जल संसाधन विभाग,  राजस्‍थान

  • श्री अनुराग अग्रवाल

    श्री अनुराग अग्रवालसदस्य, हरियाणा

    श्री अनुराग अग्रवाल

    श्री अनुराग अग्रवाल

    सदस्य, हरियाणा
    श्री अनुराग अग्रवाल, आईएएस 

    अतिरिक्त मुख्य सचिव,  हरियाणा सरकार,

    हरियाणा सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग
  • श्री कृष्ण कुमार

    श्री कृष्ण कुमारसदस्‍य, पंजाब

    श्री कृष्ण कुमार

    श्री कृष्ण कुमार

    सदस्‍य, पंजाब
    श्री कृष्‍ण कुमार, पंजाब कैडर से 1997 बैच के आईएएस अधिकारी है। इन्‍होने पंजाब सरकार में बहुत से महत्‍वपूर्ण पदों पर कार्य किया और वर्तमान में पंजाब सरकार के जल संसाधन विभाग में  प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत है।

  • श्री राकेश कंवर

    श्री राकेश कंवरसदस्य, हिमाचल प्रदेश

    श्री राकेश कंवर

    श्री राकेश कंवर

    सदस्य, हिमाचल प्रदेश

    श्री राकेश कंवर

    सचिव/ हिमाचल प्रदेश सरकार

    एमपीपी एवं विद्युत विभाग, शिमला

Back to Top